सोचता हूँ
जन्मदिन पर
रख दूँ तुम्हारा नाम 'कविता'
ताकि तुम्हें और अधिक लिख सकूँ
पढ़ सकूँ ता उम्र....
हिंदी समय में प्रदीप त्रिपाठी की रचनाएँ